दंतेवाड़ा@ अनुसूचित जनजाति मोर्चा के प्रदेश महामंत्री ने एक फिर से कांग्रेस सरकार को आदिवासी विरोधी सरकार बताया है. क्योकि सरकार के उदासीन रवैये के चलते बस्तर में आदिवासी अपना हरा सोना तेंदूपत्ता भी इस बार पूरी तरह से नही बेच पाये।
मुड़ामी ने आगे कहा कि,आदिवासियों की आर्थिक आय का मूल स्रोत बस्तर में तेंदूपत्ता है जिसे बेचकर वह जरूरत की चीजों को पूरा करते हैं। हरा सोना के नाम से मशहूर तेंदूपत्ता पर कांग्रेस सरकार की घोर लापरवाही और उदासीनता का खामियाजा आदिवासी तेंदूपत्ता संग्रहण कर्ताओं को भुगतना पड़ रहा है।
दंतेवाड़ा जिला की सात समितियां में 138 फड़ कार्यरत हैं इन समितियों में इस साल का लक्ष्य लगभग 20000 मानक बोरा खरीदी का था,पर कांग्रेस की सरकार ने कुछ फड़ों में मात्र 10000 मानक बोरा ही खरीदी कर औपचारिकता पूर्ण कर ली जबकिलगभग 57 फड़ों में एक पत्ता तक नहीं खरीदा गया ।
नकुलनार समिति में समेली,बुरगुम, नीलावाया, गढ़मिरी,गंजेनार, पालनार, फुलपाड,श्यामगिरी ,कुआकोंडा ,मैलावाड़ा ,टिकनपाल ,ककाड़ी धुरली,सहित 23 फड़ों में बिल्कुल ख़रीदी नहीं की गयी।कटेकल्याण समिति के 11 फड़ों में चिकपाल, परचेली, गुडसे,गाटम सहित 10 फड़ों में बिल्कुल ख़रीदी नहीं की गयी है। इसी तरह बारसूर समिति के 8 फड़ों में,मोखपाल समिति में 8 फड़ों में,दंतेवाड़ा समिति के 4 फड़ों में बड़े तुमनार समिति में 3 सहित पूरे दंतेवाड़ा जिले में कुल 57 फड़ों में ख़रीदी नही किया गयी है ।
उन्होंने सवाल उठाया कि कि,इसका जिम्मेदार कौन है?सरकार मात्र खानापूर्ति कर झूठी वाहवाही लूट रही है।कांग्रेस सरकार ने जानबूझकर दंतेवाड़ा के आदिवासियों से तेंदूपत्ता नहीं खरीदा ।अगर पूरी खरीदी की जाती तो आदिवासियों के हाँथो में लगभग 8करोड़ रुपये से अधिक आय के रूप में मिलते।पर ऐसा नही किया गया।सरकार के इस फ़ैसले से आदिवासी ग्रामीणों को दंतेवाड़ा जिले में ही लगभग 4 करोड़ रुपये नुकसान हुआ है।साथ ही बोनस व कई सरकारी योजनाओं से वंचित होना पड़ा है।
इसके पूर्व प्रदेश में जब डॉ रमन सिंह जी की सरकार थी तब तेंदूपत्ता संग्रहण कर्ताओं के लिए चरण पादुका जैसे कई अन्य कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही थी जिसे कांग्रेस सरकार बनते ही बंद कर दिया गया।उन्होंने आरोप लगाया कि,प्रदेश सरकार पूरी तरह से विफल साबित हो रही है।