दन्तेवाड़ा-सुकमा@ सुकमा जिले का रेड कॉरिडोर का वह इलाका जहाँ नक्सलियो ने वर्षो से अपने पैर जमाये रखे है। सुकमा जिले का किस्टाराम आपने नाम जरूर सुना होगा,पर देखा नही होगा किस्टाराम गांव को किस्टाराम नक्सलियो का सबसे मजबूत इलाका है जहाँ नक्सलियो की बटालियन जोन अक्सर चहल-कदमी करती है। साथ ही इन इलाकों में सड़क पुल पुलिया और मूलभूत सुविधाएं जिनसे ग्रामीणों की जीवन रेखा की लाइफ लाइन दौड़नी चाहिए बहुत ही कम देखने को मिलती है। ऐसे में इन इलाकों में केंद्रीय रिजर्ब बल (CRPF)के जवान नक्सलियो से लोहा लेने के लिए बीहड़ो में अस्थाई कैंप बनाकर पूरे बस्तर में नक्सलग्रस्त इलाको में मुकाबला कर रहे है।

धर्मापेंटा गांव के नजदीक एक बड़े नाले पर जवानों ने एक जुगाड़ रोप पुल ग्रामीणों के लिए तैयार किया है, जिसमे रस्सी और लकड़ियों के सहारे 100 से 150 फीट ऊंचे पेड़ो से बांध रखा है। ताकि नदी कितनी भी तेज बहे ग्रामीण और जवान एक ओर से दूसरे ओर आसानी से पार कर सके।

सीआरपीएफ की 212 बटालियन और 217 बटालियन के जवानों द्वारा तैयार किया गया यह जुगाड़ पुल हाज़ारो ग्रामीणों के लिए आने वाले वक्त पर रामसेतू से कम साबित नही होने वाला है। क्योकि विकास की डगर में दीवार बने नक्सलियो के रोड़ा के चलते यहाँ निर्माण कार्य लेने से अक्सर ठेकेदार भी कतराते है। कोंटा के डीआईजी सुधांशु सिंह के मार्गदर्शन में इस इमरजेंसी पुल को तैयार करवाया गया है। साथ ही 217 बटालियन के कमाण्डेन्ट आंनद जेराई व 212 के कमाण्डेन्ट हरमिंदर सिंह ने इस जुगाड़ रोप पुल को तैयार करने में अपना भरपूर सहयोग दिया।

ऐसे इलाको में आप अंदाज़ लगाईये कि किस तरह से जीवन का संघर्ष ग्रामीण करते होंगे जहाँ रोजमर्रा के सामानों के लिए नदी नालों पर जान का खतरा उठाना पड़ता है। साथ ही जवान भी इन नक्सल प्रभावित इलाकों को विकास की पटरी पर लाने को बीहड़ो में किस किस जगह तैनात है। ग्रामीणों के सपनो में पंख लगाने के लिये नक्सलक्षेत्र में तैनात ऐसे जवानों के संघर्ष को THEAWARE.CO.IN की टीम सलाम करती है। जो मुश्किलों में भी रास्ता तलाशते है।

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