प्रदीप गौतम- दन्तेवाड़ा@ सड़क नही रास्ता इतना अच्छा नही की संजीवनी गांव तक पहुँच जाये क्योकि नक्सलियो ने गांव के चारो तरफ पहुँचने वाले रास्ते पर गढ्ढे कर रखे है। ऐसे हालातो में बीमार ग्रामीणों की मदद के लिए संजीवनी एक्सप्रेस के कर्मचारियों को भी परिस्थितियों के साथ बड़ा संघर्ष करना पड़ता है।

बात विकासखण्ड कुआकोंडा के धुर नक्सल प्रभावित जबेली गांव की है,जहाँ 30 वर्षीय कोशी पेट दर्द,उल्टी दस्त से तड़प रही थी, हालात इतनी बिगड़ी हुई थी कि वह अस्पताल तक भी नही पहुँच सकती थी 108 मदद के लिए गांव में पहुँची हुई थी लेकिन अफ़सोस नक्सलियो के खोदे गढ्ढे की वजह से गांव से 2 किलोमीटर दूर ही संजीविनी को खड़ा करना पड़ा। इधर बीमार कोशी को गांव की महिलाएं ही खाट में रखकर संजीविनी तक लाने की कोशिश करती देख संजीविनी 108 कुआकोंडा के कर्मचारियों ने स्वयं खाट को उठाकर मदद करते हुए महिला को गाड़ी तक पहुँचाया।

कुआकोंडा संजीविनी के ड्राइवर विजय कुमार,ईएमटी मैथ्यू कुमार से जब Theaware.co.in को बताया कि कुआकोंडा के जबेली,रेवाली, पोटाली, बुरगुम ऐसे ग्रामीण इलाके है जब भी हम इस तरफ संजीविनी लेकर मरीजो के लिए पहुँचते है तो हमें घण्टो मरीज की मदद करने में लग जाते है क्योकि पहुँचविहीन सड़के होने से दूर खड़े होकर हमें भी मरीजो को मदद करनी पड़ती है।

संजीविनी के ईएमई ,अभिषेक मंडल ने बातया कर्मचारियों को निर्देश है मरीज को समय पर स्वास्थ्य सेवा दिलाने आप को भी उनकी मदद करना है ,कटेकल्याण ,कुआकोंडा क्षेत्र में सड़क की परेशानी से जादा ही गुजरना पड़ता है ।

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