दन्तेवाड़ा- जगदलपुर के मेडिकल कालेज डिमरापाल में चमकी बुखार की मीडिया में तैरती हवाओ ने स्वास्थ्य महकमे के साथ सरकार में भूचाल उठा दिया था, जबकि चमकी बुखार के कोई भी लक्ष्ण जांच में मौजूद नही दिखे। छग स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने मीडिया से उठे चमकी बुखार के ज्वार का जांच रिपोर्ट प्रस्तुत कर खंडन कर दिया।

जिन 3 बच्चों को चमकी बुखार से पीड़ित बताया जा था। उनमें से किसी मे भी जांच पर इसके लक्ष्ण नजर नही है। पीड़ितों में चोलनार/बकावण्ड गांव का 4 वर्षीय भुनेश्वर जापानी इनसेफेलाइटिस पाजेटिव पाया था। जिसे 10-6-19 से पीड़ित बताया जा रहा है। वही 20-6-19 को भुनेश्वर की मौत हो गयी। वही अन्य दो बच्चे कुमार मंडावी(७वर्ष),इतियासा ३वर्ष की हालत में सुधार है। इनमें से 1 बच्चे को डिस्चार्ज भी कर दिया गया है।

बकावण्ड के चोलनार गांव में स्वास्थ्य विभाग ने कुल 88 लोगो की जांच व भुनेश्वर के सम्पर्क में रहे 18 लोगो की भी जांच की गई। कोई भी जांच में जापानी बुखार या चमकी से पीड़ित नजर नही आया। जारी प्रेसनोट पर बताया गया कि जांच के गांव में एडीज छिड़काव, मच्छरदानी लगाने की सलाह दी गयी। ब्लाक से बनी कॉम्बेट टीम ने जांच के दौरान मरीज के परिजनों को अधिकांश वक्त उड़ियापाल में रहते थे। जांच टीम ने वहाँ भी जांच की पर कोई रोगी नही पाया गया।

प्रेसनोट पर इसे जापानी इनसेफेलाइटिस का मामला बताते हुए चमकी बुखार की बात को सिरे से खारिज कर दिया। इससे पहले भी बस्तर में जपानी बुखार के लक्षण कई मर्तबे पाये गये है। स्वास्थ्य अमले को सजग और इस बीमारी से निपटने के लिए अलर्ट कर दिया गया है।

जब मीडिया ने इसे चमकी बुखार के लक्ष्ण से जोड़ा तो छतीसगढ़ हिल गया क्योकि बिहार में चमकी कहर बनकर अबतक 150 बच्चो से ऊपर मासूमो की जान ले चुका है।चमकी बुखार को (AES) एक्यूट इनसेफेलाइटिस सिंड्रोम कहते है। जो जापानी बुखार के लक्ष्ण से भिन्न होता है। वैसे दोनों बीमारियां ही बेहद खतरनाक है।
The Aware News