बीजापुर- नशे और धूम्रपान का साम्राज्य अब धीरे धीरे नशों को खोखला करता जा रहा है। क्या बुजुर्ग क्या युवा क्या नौजवान सभी अब इसकी जकड़ में फँसते जा रहे हैं। अब स्कूल में पढ़ने वाले छात्र भी बीजापुर के चाय ठेलों में सिगरेट का गोल्डन कश लगाते दिखने लगे हैं। खुलेआम धूम्रपान कराने वाले इन चाय ठेलों पर बाक़ायदा धूम्रपान निषेध लिखकर तख़्ती ज़रूर टांगी जाती है लेकिन पालन नहीं कराया जाता। दरअसल धूम्रपान के लिए ग्राहकों की भीड़ जुटती है जिससे पान बीड़ी गुटखा तंबाकू की एक्स्ट्रा इनकम हो जाती है।
फाइल फोटो.
यह तो निश्चित है कि गोल्डन कश मैं सोना तो नहीं निकलता होगा हां सोने के बराबर कीमती कश जो लिया जाता होगावही गोल्डन कश कहलाता है। ऐसा कश जो संपूर्ण नसे की पूर्ति कर सकें वही गोल्डन कस कहलाता है।
बीजापुर नगर में पुलिस अधीक्षक कार्यालय से लेकर न्यू बस स्टैंड तक लगे चाय ठेलों में खुलेआम सिगरेट बेची और पिलाई जाती है। कई चाय ठेलों में अब स्कूली बच्चे सिगरेट भी सिगरेट जलाते देखे जा रहे हैं। सार्वजनिक स्थलों में टी स्टालों में भी धूम्रपान कराया जा रहा है। ज़्यादातर स्टालों और ठेलों में धूम्रपान निषेध के बोर्ड तक नहीं लगे हैं।
बीते दिनों ज़िला प्रशासन ने नगर में मुख्य सड़क के इर्द गिर्द संचालित चाय ठेलों में पान, गुटखा, तंबाकू और सिगरेट बेचने में नियमों में कोताही बरतने वाली पर कार्रवाई और ज़ब्ती की गई थी। बावजूद इसके कई चाय ठेलों में अभी भी धूम्रपान धड़ल्ले से संचालित है। जिस पर अब विभाग को सख़्त कार्रवाई करनी पड़ेगी।चाय ठेला, गुमटी में धूम्रपान निषेध का बोर्ड लगाना चाहिए। जिससे युवा पीढ़ी को रोकने के कड़े संकेत मिलने चाहिए। स्कूली बच्चों में धूम्रपान को लेकर जागरूकता पर ध्यान देना चाहिए। नगर में कुछ सार्वजनिक स्थलों में चाय ठेलों में स्कूली बच्चे भी सिगरेट ख़रीदते या पीते दिख जाते हैं जिस पर लगाम लगाया जाना चाहिए।