दन्तेवाड़ा@ राजनीति में कौन कहता है शुचिता शून्य हो गयी है। आज ही पति की शहादत कि मिट्टी मुठ्ठी में बंद किये दन्तेवाड़ा के दंगल में चुनाव प्रचार में उतरी ओजस्वी मंडावी की राजनीतिक सौम्यता की झलक उस वक्त नज़र आई।

जब वे दन्तेवाड़ा शहर में भाजपा के युवकार्यकर्ताओ के साथ सघन जनसम्पर्क अभियान दन्तेवाड़ा शहर में चलाकर अपने पक्ष में वोट मांगने की अपील करते हुए भ्रमण कर रही थी।
■ जैसे ही ओजस्वी मांडवी कांग्रेस कार्यलय के सामने पहुँची। तो कार्यलय के अंदर कांग्रेस प्रत्याशी देवती कर्मा प्रदेशाध्यक्ष मोहन मरकाम के साथ कई कार्यकर्ताओ के साथ खड़ी थी। ओजस्वी कार्यलय पहुँची जहाँ पहले उन्होंने मोहन मरकाम के पैरों को छूकर आशीर्वाद लिया। साथ ही उम्र में बड़ी देवती कर्मा के पैरों को ओजस्वी ने छूकर अपनी जीत के लिये आशीर्वाद मांगा।

राजनीतिक शुचिता और सौम्यता में इससे बड़ा नज़ारा क्या होगा। राजनीति तो वैसे भी वैचारिक द्वंदता का होता है। झीरम नरसंघार के दंश को कांग्रेस प्रत्याशी देवती महेंद्र कर्मा ने झेला है। वही दर्द ओजस्वी मंडावी को भी नक्सलियों की क्रूरता के चलते लगे है। पर राजनीतिक पृष्ठभूमि में ये तस्वीर बहुत कुछ सन्देश देती है।
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