दन्तेवाड़ा@साढ़े ५महीने से विधायक विहीन दन्तेवाड़ा विधानसभा को दन्तेवाड़ा की जनता चुनकर कल नया विधायक दे देगी। सत्ता का पत्ता आंकलन की हवाओ में जमकर डोल रहा है। अतिउत्साही पूर्वनुमानित आंकलन पर खुशी खोजी जा रही है। मगर फिर भी अभी प्रत्याशियों का भाग्य स्ट्रांग रूम में ईवीएम के अंदर बंद है। खैर जिसे भी जीत मिले वह दन्तेवाड़ा के रण में बतौर विधायक बनकर जनता के बीच साढ़े 4 वर्ष तक रहेगा। 2008 से कर्मा और मंडावी दो ही परिवार दन्तेवाड़ा के रण में आमने सामने रहते है। कभी बाज़ी मंडावी खेमे में तो कभी कर्मा में गिरती है। 2008 में जिस भीमा मंडावी ने दिग्गज महेंद्र कर्मा को पहली बार हराया था। उसी दिग्गज भीमा मंडावी को कर्मा जी की शहादत के बाद 2013 विधानसभा चुनाव में देवती महेंद्र कर्मा ने शिकस्त दे दी। मगर भीमा मंडावी ने 2018 में फिर साबित किया दन्तेवाड़ा में जनता के बीच उनका वजूद जिंदा है। और उन्होंने वापस देवती कर्मा को हराकर कांग्रेस की सुनामी लहर में अप्रत्याशित रूप से जीत दर्ज की। मगर 9 अप्रैल 2019 को श्यामगिरी ब्लास्ट में भीमा मंडावी की शहादत हो गयी।

उपजे उपचुनाव में ओजस्वी भीमा मंडावी और देवती कर्मा फिर आमने सामने हो गये। भाजपा ने नये प्रत्याशी ओजस्वी को मैदान में उतारा जिसका पदार्पण ही विधायकी लड़ने के साथ शुरू हुआ। दूसरी तरफ झीरमघाटी में कांग्रेस काफ़िले में महेंद्र कर्मा की शहादत के बाद परिस्थियों से बनी विधायक देवती कर्मा 5 साल के सियासती अनुभव के साथ खड़ी है।
अब देखना ये बचा है कि दोनों पक्षो में जनता किसे विजय तिलक लगाती है। दोनों ही परिवार दन्तेवाड़ा की जनता की सेवा राजनीति से कर चुके है।

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