_*त्वरित टिप्पणी*_

पंकज सिंह भदौरिया की कलम से@

दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के शपथ समाहोर को यादगार बनाने के लिए प्रधानमंत्री ने 6500 से अधिक देशी-विदेशी पार्टी के लिए कुर्बानी दिए भाजपा के उन परिवारों के लोगो को भी याद जिन्होंने अपने बलिदान से कमल का फूल खिलाने में खुद का जीवन ही खत्म कर लिया। मंत्रिमंडल भी शानदार बनकर तैयार हुआ, इसके लिए सरकार को बधाई।

मगर दिल्ली के दरबार ने नक्सली हिंसा के शिकार हुए दिवंगत विधायक भीमा मंडावी के परिजनों को आमंत्रण नही भेजा, या फिर ये मानिये आप की देश की बड़ी पार्टी की निगाहों से दन्तेवाड़ा ओझिल हो गया। जबकि विधायक काफिले पर हुये हमले की गूंज देशभर में सुनाई दी थी। क्या माने भूल है यहाँ सत्ता के गलियारे में मौकापरस्ती है, जब तक आपको चुनावी प्रचार में जरूरत महसूस हुई आप मौत को भी वोटों में भुनाते रहे, वक्त निकल गया पार्टी भी भूल गयी।

बंगाल से पहुँचे थे चुनावी हिंसा में प्राण गवाये 54 पार्टी कार्यकर्ता के परिजन शामिल हुए लगता है प्रधानमंत्री जी आप विधानसभा की तैयारियों के साथ इन्हें याद किये है, और ममता बनर्जी नाम के किले को ध्वस्त करने की रूपरेखा तैयार कर रहे है। क्योकि दन्तेवाड़ा दिवंगत विधायक के परिजनों को याद करने से छग में राजनीतिक फायदा तो नजर नही आता कही से? इसलिए नजरअंदाज कर बंगाल को आपने अपने याद किया।

The Aware News