दन्तेवाड़ा/गीदम- (आरती सिंह की रिपोर्ट)

दक्षिण बस्तर की प्रसिद्ध गीदम मेला मड़ई का प्रारंभ शनिवार को हुआ। नगर की इस मेला मड़ई में दूर-दराज इलाके के लगभग 30 गांवो के ग्रामीण अपने आराध्य देवी- देवताओं के साथ इसमे शामिल होते है। उनके साथ ही पुजारी,सिरहा,गुनिया,गायता भी इस प्रसिद्ध मेला मड़ई में पहुचते है।

गीदम ब्लॉक मुख्यालय की इस मेला मड़ई के बारे में कहा जाता है कि इस मेला मड़ई के सम्पन्न होने के बाद ही दक्षिण बस्तर में मेला मड़ई का समापन होता है। बस्तर अंचल मेला-मड़ई का अपना एक अलग ही महत्व होता है । प्राचीन काल से ही मेला – मड़ई ग्रामीणों के लिये अपने रिश्तेदारो से मिलने व अपने जरूरी सामानों को खरीदने का साधन हुआ करते है। ग्रामीण क्षेत्रों में मेला- मड़ई के एक दिन पूर्व दियारी त्यौहार मनाया जाता है जिसमे दूर-दराज में काम करने गये ग्रामीण अपने घर लौटते है। और पूरे सप्ताह त्योहार का माहौल रहता है। इस दौरान आदिवासी संस्कृति को जानने समझने के लिये क्षेत्र के लोगो सहित विदेशी पर्यटक भी मेले में पहुचते है। मड़ई-मेलो को सफल बनाने के लिये विभिन्न समितियों का गठन किया जाता है,

जिनकी देख – रेख में मेला-मड़ई का आयोजन किया जाता है। मेला-मड़ई में पेयजल व अन्य सुविधाओं की व्यवस्था करना स्थानीय प्रशासन की जिम्मेदारी होती है। वही कानून व्यवस्था स्थानीय पुलिस प्रशासन संभालता है। अंचल में आयोजित होने वाले मेले- मड़ई में रात्रि में पारंपरिक नृत्य,व नाट की प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती है। इस बार इस तीन दिवसीय गीदम मेला मड़ई में शनिवार के दिन माता दंतेश्वरी की डोली नगर पहुचीं जहां मां की डोली का भव्य स्वागत किया गया, व माता जी की डोली की विधिवत पूजा – अर्चना की गई। । रविवार के दिन भैरम मंदिर में पूजा – अर्चना के पश्चात माई जी की डोली के साथ नगर की परिक्रमा की जायेगी । इसी दिन मुख्य रूप से मेला भी भरता है जिसमे सभी क्षेत्र के देवी देवताओं के साथ साथ बड़ी संख्या में ग्रामीण लोग भी पहुचते है। साथ ही इसीदिन शायं काल मे आदिवासी नृत्य, उड़िया नाटक,व चलचित्र का प्रदर्शन किया जायेगा।सोमवार हवन, पूजन व पूर्णाहुति के बाद माई दंतेश्वरी की आरती होगी व उसके पश्चात देवी देवताओं की विदाई के साथ नगर की इस प्रसिद्ध मेला मड़ई का समापन होगा।

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