दन्तेवाड़ा- 73 वा संविधान देश जश्न में डूबा है लाल किले की प्राचीर से लेकर पूरे हिंदुस्थान में शान से तिरंगा लहरा रहा है। अब भी दन्तेवाड़ा के नक्सलग्रस्त इलाके आज़ादी के इस पर नक्सलवाद के रंग के चलते दोहरी नीति में आदिवासी जिंदगी गुजार रहे है।

कटेकल्याण-कुआकोंडा ब्लाक के अंदुरुनी नक्सल पकड़ वाले इलाकों में नक्सलियों ने शांति से ध्वजारोहण नही करने दिया। और तिरंगे के बगल में विरोध का काला झंडा भी लगा। जिसे उतारने की हिम्मत तक ग्रामीण नही जुटा पाये। सुरक्षा के पुख्ता दावों के बीच जिले भर में तो शान से तिरंगा फहराया गया पर अंदर की स्थिति अब भी पूरी तरह से नही बदल पाई
देखिये ग्राउंड से ये रिपोर्ट

◆ फिर शासकीय संस्थाओं में डर दहशत के बीच भी तिरंगा लहराता दिखाई दिया। कमी दिखी तो सिर्फ एक संविधान और एक विधान के ताने बाने की। कश्मीर के मुद्दे से भिन्न नही है बस्तर यहाँ भी नक्सलवाद की जड़े ग्रामीण इलाकों में दूसरी ही मानसिकता का प्रचार प्रसार कर विरोध में जुटे है।

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