श्री राघव मन्दिर में देवस्नान पूर्णिमा के रस्म पर भगवान जगन्नाथ सहित बलभद्र, एवं सुभद्रा को बाजे-गाजेे के साथ मंदिर से स्नान मंडप तक लाया गया। जहां उन्हें पवित्र नदियों के जल, मधु,सुगंधित द्रव्य और अन्य सामग्रियों से जलाभिषेक कर भक्तों ने स्नान कराया गया।
स्नान से पहले पौड़ी की रस्म निभाते हुए उनकी पूजा-अर्चना की गई। जगन्नाथ संस्कृति के अनुसार गर्मी से राहत पाने के लिए महाप्रभु को 108 कलश जल से खूब स्नान करते हैं जिस कारण उन्हें गर्मी के मौसम में भी ठंड लग गयी ।
शाम को गजानन वेश के बाद वे बीमार पड़ जाते हैं और 15 दिनों के लिए कोपगृह में चले जाते हैं। इस दौरान कोपगृह में केवल सेवक ही सेवा करते हैं और मंदिर का पटद्वार बंद रहता है। देवस्नान पूर्णिमा पर भगवान के स्नान को देखने उत्कल समाज बंगीय समाज, रामपुर, लक्ष्मणपुर, भरतपुर कैम्प,मेन मार्केट,गजराजकैम्प,व एन एम डी सी क्षेत्र से भक्तों की भीड़ उमड़ी।
मंदिर के पांडा रमेश कुमार रथ ने बताया कि महाप्रभु जगन्नाथ ने मनुष्य के रूप में दर्शन दिए हैं, इसलिए वे बीमार भी पड़ते हैं और उन्हें इन दिनों भोजन की बजाए वन औषधि युक्त काढ़ा पिलाई जाएगी ताकि जल्द स्वस्थ हो सके। इस मौके पर जगन्नाथ सेवा समिति के सदस्य – गण मौजूद थे!